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पूर्वी लद्दाख में ढेर सारे तालाबों का निर्माण कर रही सेना, कड़ाके की ठंड में भी जवानों में मिलेगा ताजा पानी

लद्दाख में डीबीओ मोस्ट फॉरवर्ड लोकेशन और सबसे अधिक ठंडी जगहों में से एक है। कोल्ड डेजर्ट एरिया में बहुत ही कड़ाके की ठंड पड़ती है। यहां के कई इलाकों में तापमान -40 डिग्री सेल्सियस के नीचे चला जाता है।

भारतीय सेना LAC के पास पूर्वी लद्दाख में ढेर सारे तालाबों का निर्माण कर रही है। इससे जवानों को कड़ाके की ठंड में भी पीने के लिए ताजा पानी मिल सकेगा। जून, 2020 में गलवान में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद इंडियन आर्मी ने कई एहतियाती कदम उठाए हैं। भारत ने पूर्वी लद्दाख में 50 हजार से अधिक जवानों की तैनाती की है। बॉर्डर पर सेना की जरूरतों के हिसाब से लगातार नए प्रयास किए जा रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन आर्मी इंजीनियर इन चीफ लेफ्टिनंट जनरल हरपाल सिंह ने बताया, ‘LAC के पास तैनात जवानों की पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए हम बड़ी संख्या में तालाब बना रहे हैं। दौलत बेग ओल्डी (DBO) जैसे इलाकों में जमा देने वाली ठंड पड़ती है। ऐसे में सेना के जवान इन तालाबों से ताजा पानी हासिल कर सकेंगे। ठंड जब अपने चरम पर होती है तो पानी जमने लगता है, लेकिन जमीन के अंदर यह द्रव रूप में ही रहता है। हमारे जवान इस पानी का अपनी जरूरतों के हिसाब से इस्तेमाल करते हैं।’

-40 डिग्री सेल्सियस के नीचे चला जाता है तापमान

लद्दाख में डीबीओ मोस्ट फॉरवर्ड लोकेशन और सबसे अधिक ठंडी जगहों में से एक है। कोल्ड डेजर्ट एरिया में बहुत ही कड़ाके की ठंड पड़ती है। यहां के कई इलाकों में तापमान -40 डिग्री सेल्सियस के नीचे चला जाता है। ऐसे में जवानों को भोजन और ताजा पानी मुहैया कराना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य बन जाता है। सेना के इंजीनियर्स जवानों की मदद के लिए लगातार प्रयास में लगे हुए हैं। चीन से लगी सीमा के पास लीविंग कंडीशन बेहतर बनाने को लेकर नए-नए रास्ते खोजे जा रहे हैं।

ठंड के हिसाब से तैयार किए गए हजारों आवास

लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल ने कहा कि सेना की ओर से सैनिकों के लिए पूर्वी लद्दाख में अब तक 22,000 अतिरिक्त आवास बनाए हैं। इन्हें इस तरह से बनाया गया है कि इमारतों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक उठाकर लाया जा सके। साथ ही जरूरत के हिसाब से ये आवास विशेष इलाकों में भी शिफ्ट किए जा सकेंगे। इतना ही नहीं, टैंकों, तोपों और पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों के लिए भी बड़ी संख्या में आवास बनाए हैं। इससे बख्तरबंद कोर बेहद कड़ाके की ठंड में भी उन्हें ऑपरेट कर सकेगी।